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आदिवासी ओझा जाति (Ojha Caste Definition)

bisau netam April 17, 2022

 

निम्नलिखित परिभाषाएं हैं आदिवासी ओझा (Ojha Caste Definition) जनजाति के बारे में- 

कुछ लोगों का मानना है एवं कुछ लेख में उल्लेख में मिला है  कि गांव में झाड़-फूंक करने वाले प्राय: ओझा जाति के ही लोग किया करते थे। जनजातियों के बहुत सारे देवी- देवता होते हैं उनकी  देखरेख करने की जिम्मेदारी,  प्रतिस्थापना करने की जिम्मेदारी, ओझा सिराहों को दिया गया। गांव में तबीयत खराब होना, या किसी को तकलीफ होना, उस समय के हकीम, बैगा, झाड़-फूंक करने वाले केवल एक ही जनजाति के लोग करते थे वे हैं ओझा ही जनजातियों के द्वारा समस्त ग्राम वासियों को झाड़-फूंक करना, शरीर के किसी स्थान पर चोट लगने पर जड़ी बूटियों का इस्तेमाल करके उन्हें दवाई  देना, कई प्रकार के लोगों के शारीरिक रूप से अक्षम को सक्षम बनाने में सहयोग करते थे। इसलिए उन्हें ओझा कहा गया।

Ojha Caste Definition



इस पोस्ट में जानकारी है
1 आदिवासी ओझा (Ojha Caste Definition)
2 क्या ओझा जाति केवल भारत में ही है? या दूसरे देश में भी हैं?
3 ओझाओं का देवता कौन है ?(Who is the god of ojha shamanism?)
4 प्रसिद्ध ओझा (famous ojha shamans) भगत के नाम-
5 ओझा जाति किस कैटेगरी (ojha caste category) में आते हैं ?

हिंदू धर्म मान्यता अनुसार- शिव शंकर के वाद्य यंत्र को बजाने के कला केवल ओझा जनजातियों को ही है। इसकी जानकारी आदिवासी ओझा होने के कारण इतिहासकारों ने या कुछ कहें ब्राह्मणवाद को सपोर्ट करने वालों ने बातों को छुपाए रखें। इसलिए आज भी ब्राह्मण समुदाय में ओझा सरनेम, झा सरनेम का चलन देखने को मिल रहा है। 


हिंदू धर्म में उल्लेख किया गया है कि शिव जी के वाद्य यंत्र को देवनागरी लिपि में डमरु कहा जाता है। आदिवासी गोंड जनजातियों ने भी आदिवासी ओझा के कला से प्रभावित होकर हुल्की  नाम से सेम उसी प्रकार के वाद्य यंत्र का निर्माण किया और मनोरंजन के लिए उपयोग करने लगे। आज भी गोंड  जाति के लोग नवाखाई के पर्व में हुल्की नृत्य का आयोजन करते हैं।

ओम मंत्र के साथ ओझा डाहकी  धुन का मिलन होना ही ओझा शब्द की उत्पत्ति माना गया तभी से ओझा सरनेम भी ब्राह्मणों में आज भी लिखा जाता है साथ में झा सरनेम भी लिखा जा रहा है।


जबकि आदिवासी ओझा जनजातियों के मनोरंजन के मुख्य साधन प्रारंभिक तौर से डाहकी बजाते आ रहे है । डाहकी नाम पारसी शब्दों में कहा जाता है नोगना ,खोजरू ,खोजरी गीतों के साथ आज भी ओझा जनजातियों में हर घर में हर त्योहारों में मनोरंजन के लिए गीत के साथ डाहक बजाए जाता है। 


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क्या ओझा  जाति केवल भारत में ही है? या दूसरे देश में भी हैं? 

 

सामान्यतया ऊपर बताई गई परिभाषा अनुसार अच्छी और बुरी आत्माओं के बारे में जानकारी रखने वालों को ओझा जाति कहते हैं। अक्सर जनजातियों या पारंपरिक बिलों में या गांव में ओझाओं का प्रभाव ज्यादा होता है, और उन्हें धर्म और चिकित्सा दोनों का स्रोत माना जाता है। आज भी कोई इमरजेंसी होता है तो झाड़-फूंक करने के ओझाओं को आमंत्रित किया जाता है। 


ओझा जाति का अपना संस्कृति, अपनी भाषा, और अपना ही धर्म मानते हैं। विश्व में ओझा धर्म मानने वाले जिसे हम अंग्रेजी में ओझा धर्म (shamanism, शेमनिज़म) कहते हैं। 

साइबेरिया, अफ्रीका, मंगोलिया, मूल अमेरिकी आदिवासी समाज, जापान और भारत समेत ओझाओं  को विश्व भर में जनजातियों समाजों में देखा गया है।


ओझाओं का देवता कौन है ?(Who is the god of ojha shamanism?) 

वैसे तो आदिवासी ओझा प्राकृतिक पुजारी होते हैं, पेड़ ,पौधा, पशु ,पक्षियों का को पूजते हैं। विभिन्न देवी-देवताओं का ओझा जातियों में चलन है जो देवता  प्रमुख रूप से होते है उसमें बलि भी चढ़ाया जाता है।सामान्यतः डोकरा देव, आंगा देव, भूमियारीन, हिंगलाजइन, कंकालिन माता, हरदेव, दूल्हा देव, माडीया आदि प्रकार के देवताओं का पूजा रचना करते हैं। सभी ओझाओं के पास समान रूप से पवित्र देवताओं में धरती माता, चंद्र देवता, सूर्य देवता, पवन देवता, जल देवता, अग्नि देवता, पर्वत आत्मा देवता शामिल रहते हैं।


आदिवासी ओझा भगत

आदिवासी ओझा माता



प्रसिद्ध ओझा(famous ojha shamans) भगत के नाम- 


1. भोलानाथ बांसडोला(नेपाल) 

2. अंजा नोर्मन्न (स्वीडन) 

3. राम सिंह नेताम ओझा(छत्तीसगढ़,भारत) 

4. वेरा सकीना, (साइबेरिया) 

5. ढोलू उइके ओझा ,(भारत)





ओझा किस कैटेगरी (ojha caste category) में आते हैं ? 


अनुसूचित जनजाति में 1,000 से अधिक जाति सम्मिलित है, उनमें से एक है ओझा अत्यंत पिछड़े जनजाति इसी को ध्यान में रखते हुए सरकारी नौकरी में लाभ मिले, सरकारी शिक्षा में लाभ, तमाम सरकारी योजनाओं में लाभ ले सके। इसलिए अनुसूचित जनजाति के लिस्ट में ओझा जाति को भी सम्मिलित किया गया है अर्थात  इन्हें आरक्षण प्रणाली के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe, ST) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।


ओझा जातियों के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विजिट करते रहिए और नए-नए जानकारी हासिल करते रहे। सभी अनुसूचित जनजाति आदिवासी ओझा भाइयों तक इस जानकारी को शेयर करें व्हाट्सएप,फेसबुक के माध्यम से सभी तक महत्वपूर्ण जानकारी को पहुंचाएं धन्यवाद।


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आदिवासी ओझा समाज के लिए "गाँव में “सबसे ज्यादा चलने वाला बिजनेस"|village business ideas in hindi 2022

bisau netam April 05, 2022

 

आज ही शुरू करे गर्मी  महीने चलने वाला बिजनेस

आज हर आदमी सफल होना चाहता है आर्थिक रूप से मजबूत होना चाहता है। 

इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए आज के इस ब्लॉग में आपको ध्यान से और लास्ट तक पढ़ने की जरूरत है। 

आदिवासी ओझा समाज


गर्मी के सीजन में कुछ महत्वपूर्ण बिजनेस आइडिया है जो मैं आपसे शेयर करने जा रहा हूं जिन्हें आप अपना कर अपने आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं। सगा भाइयों हम दूसरे को देखकर सोचते हैं कि काश हमारे पास भी गाड़ी हो, बंगला हो ,अच्छा सुविधाएं हो, यह केवल सोचने मात्र से नहीं होगा हमें मेहनत करना होगा और मेहनत करना ।  मतलब सही दिशा में स्मार्ट तरीके से मेहनत करना होगा तभी जाकर हम एक अच्छे आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं। यह बातें अभी आपको कड़वी लग रही होंगी लेकिन यही फैक्ट है इन्हें हमें स्वीकार करना होगा और अपने अंदर की कमियों को सुधार करना होगा।  आपके माता पिता दादा परदादा ने आपको ज्यादा शिक्षित नहीं किए हैं,अच्छे स्कूल में नहीं पढाये  हैं आपके पास कोई साधन नहीं है बिजनेस शुरू करने के लिए कोई पैसा नहीं है । अगर आप इन समस्याओं को सोच सोच कर कोई कार्य शुरू नहीं करेंगे तो आपको नुकसान और जो आप आर्थिक मजबूती चाहते हैं वह कभी आप हासिल नहीं कर सकते हैं इसलिए आइए जो मैं आईडिया बता रहा हूं  आईडिया को अपना ही है और सफल हो जाइए आज से नए जीवन की शुरुआत कीजिए चलिए शुरू करते हैं।


  1. गुल्फी बेचकर महीने के 30 हजार कमायें-

हम सब ने अपने बचपन में कुल्फी खाए हैं और आज भी गांव में गर्मी के सीजन में लाते हैं और हम सब खाते हैं। बिजनेस ये बहुत ही सरल और आसान बिजनेस है इसमें हर कोई सफल हो सकते हैं यदि आपके पास मोटरसाइकिल है तो बहुत अच्छी बात है यदि नहीं है तो आप साइकिल से भी शुरुआत कर सकते हैं। 

शुरू करने के लिए सबसे पहले आपको अपने आसपास के गुल्फी  सेंटर को पता करना है। यदि आप तहसील में रहते हैं तो वहां पर भी आपको मिल जाएगा यदि आप गांव में रहते हैं तो आपको 10 या 12 किलोमीटर की दूरी में बड़े शहर में या तहसील में आपको मिल जाएगा तो सबसे पहले आपको कुल्फी सेंटर को पता लगाना है। यह काम आपको बहुत मुश्किल लग रहा है लेकिन जब तक आप खुद पता नहीं लगाएंगे तब तक आप इसकी शुरुआत नहीं कर सकते हैं पता लगाने का एक ही तरीका है आप उस शहर के बड़े दुकान में जाइए और पूछिए की मुझे कुल्फी धंधा करना है इसके लिए सेंटर कहां है ? यह जाकर आप पूछ सकते हैं, मनुष्य के पास सबसे बड़े धन जो है वह है भाषा यदि आपकी भाषा मधुरता है और आप बोलने में अच्छे हैं तो अब किसी को भी आप अपने वश में कर सकते हैं और किसी से भी आप काम निकला सकते हैं इसलिए आपको यह पहल करना होगा। 


क्या हर महीने 30000 हजार कमाना मुमकिन है? 

यानी कि 1 दिन में आपको ₹500 कमाना है यदि आप ₹500 लगाते हैं तो आपको ₹500 मिनिमम तो कमाना ही होगा यानी कि आपको हजार रुपया कमाना है यह बिल्कुल मुमकिन है। आप अपने पास के गांव सभी दिशा में 10 गांव चुनिए जो मैं आपको बता रहा हूं इसे प्लान के आधार पर आप को चलना है, यदि आपके पास मोटरसाइकिल है तो आप 20 गांव चुन सकते हैं और साइकल है तो इसमें थोड़ा सा दिक्कत हो सकती है पांच या सात, आठ गांव हो सकता है आप मिनिमम 10 गांव चुनिए और 10 गांव में आप हिसाब लगाइए यदि 10 आइसक्रीम, गुल्फी  भी बेचते हैं तो आपका 10 गांव में हजार आइसक्रीम गुल्फी आसानी से बिक जाएगी।

एक गांव में जनसंख्या 500,1000 या 1500 तक होती है क्या इन संख्याओं में आप मोटे मोटे हिसाब से 10 लोगों को गुल्फी नहीं बेच  पाएंगे ऐसा हो ही नहीं सकता आप 10 से अधिक लोगों को बेच सकते हैं। इसलिए इस बिजनेस प्लान के साथ आप शुरुआत कीजिए आप असफल हो ही नहीं सकते हैं । मैं आपको 100% गारंटी देता हूं और आप महीने में 30,000 कमा सकते हैं। तो देर किस बात की है शुरू कीजिए पता कीजिए सीजन अभी शुरू हो रहा है और इस रीजनल बिजनेस का फायदा अपने और अपने परिवार के लिए उठाइए।


गाँव में चलने वाला “सबसे सस्ता बिजनेस कौन सा है”

गांव हो या शहर हो बिजनेस सफल होगा या असफल होगा वह एक बात पर निर्भर करती है आवश्यकता 

आवश्यकता की पूर्ति करना ही बिजनेस है। 

आपके गांव में सबसे ज्यादा दिक्कतें किस चीज की होती है ?क्या चीज आसानी से उपलब्ध नहीं है? यह आप पता कीजिए? उदाहरण के लिए- बहुत सारे गांव में आवागमन साधन आसानी से उपलब्ध नहीं होती है तो वहां हम गाड़ी उपलब्ध कराकर बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं। 

गांव में आसानी से सब्जी उपलब्ध नहीं होती है सप्ताहिक बाजार के इंतजार करते हैं हम कोई ऐसा तरीका निकाल सकते हैं जिसमें गांव वालों को हर 2 दिन में सब्जी मिल सके इसमें भी कम इन्वेस्ट में आप बिजनेस शुरू कर सकते हैं। 

यदि आप मेडिकल फील्ड से हैं तो गांव में इलाज की गंभीर समस्याएं हैं इस फील्ड को यदि आप पार्टनरशिप के साथ भी शुरू करते हैं । 

ऐसे बहुत सारे समस्याएं होंगी जिनके बारे में आप अपने इलाका में कभी ना कभी आपको दिक्कत हुई होगी और लगा होगा कि यार काश  मेरे पास होता तो मैं यह सारी समस्या दूर कर देता वही समस्या को आप को दूर करना है और वही समस्या को अभी आप को ढूंढना है समझना है उनके अवसर को देखना है कि उस बिजनेस को हम कहां तक स्केल{बढ़ा } सकते हैं फिर एक छोटी से शुरुआत कीजिए और शुरुआत करते ही आप नए मुकाम हासिल कर सकते हैं।





adivasi ojha culture and tradition in hindi | आदिवासी ओझा जनजाति की सांस्कृतिक विशेषताएं

bisau netam March 22, 2022
 
आदिवासी ओझा जनजाति की सांस्कृतिक विशेषताएं 


आज के इस आर्टिकल में मै आदिवासी ओझा जनजातियों के विभिन्न संस्कारों के बारे में विस्तार से वर्णन करूंगा। यदि पोस्ट पसंद आता है या जानकारी में कहीं त्रुटि हुई है तो आप हमें कमेंट करके सुझाव दे सकते हैं। अच्छा लगे तो हमारे आदिवासी ओझा भाइयों तक इस पोस्ट को व्हाट्सएप,फेसबुक के माध्यम से जरूर शेयर कर सकते हैं समाज के विकास में एक शेयर एक कमेंट का योगदान हम चाहते हैं जय मंशु ओझा! जय सेवा!

आदिवासी ओझा  समाज




        1.जन्म संस्कार

शिशु जन्म को ओझा जनजातियों में प्राकृतिक घटना माना जाता है। ओझा जनजाति यह भी मानते हैं कि यह हमारे पूर्वज दादा परदादा का अवतार है या दादी दादी की अवतार है। गोंड इसे दुल्हादेव एवं झलना देवी की अनुकंपा या आशीर्वाद मानते हैं। 

2.नामकरण- बच्चे का नामकरण जीवन का पहला संस्कार होता है। 

यह संस्कार अलग जनजातियों में अलग - अलग अवधियो में संपन्न किया जाता है प्राय: ओझा जातियों में गर्मियों के समय में व्यस्तता कम होती है ऐसे समय को चुनते है संस्कार सम्पन्न किया जाता है। छत्तीसगढ़ी में इसे छठी भी कहते हैं और ओझा भाषा में इसे मनखे जनिस कहते हैं। बच्चे का नाम नदी या पहाड़ दिन, महीना, ऋतू या किसी विशिष्ट अवसर के नाम पर रखा जाता है- जैसे नरबदिया, बुधिया, वैशाली या अंकालू  आदि।


आदिवासी ओझा जाति में विवाह कैसे और कितने प्रकार से होते हैं? 

  1. विवाह पद्धतियां 

आदिवासी ओझा जनजाति में एक विवाह (मोनोगैमी)और बहु विवाह (पोलोगैमी) दोनों विद्यमान है। 

सामान्यत:इनमें बहु विवाह अधिक प्रचलित है। बहु विवाह का आर्थिक स्थिति से सीधा संबंध होता है आदिवासी जनजातियों में बिंझवारो के मुखिया वालों के मुख्य पांच या छ:पत्नियां भी रख लेते हैं। 

इनमें मुख्यतः क्रय विवाह, सेवा विवाह, अपहरण विवाह, गंधर्व विवाह, हट विवाह,एवं विनिमय विवाह की पद्धतियां पाई जाती है। सामान्य विवाह को बस्तर में पेडुल कहा जाता है। 




adivasi ojha culture and tradition

2.दूध लौटावा 

मैं ममरे-फूफरे, भाई-बहनों में विवाह अधिमान्य होता है। जब लड़की का विवाह कहीं नहीं होता है, तब उसके पास प्रथा अनुसार बुआ या मामा के लड़के से विवाह का विकल्प सुरक्षित रहता है। 

3.सेवा विवाह- 

अधिकांश ऐसे व्यक्ति, जो वधू मूल्य चुकाने में असमर्थ होते हैं, वह एक निश्चित अवधि सामान्यतः 5 वर्षों तक भावी  ससुर के घर रहकर कार्य करते हैं। 

4.क्रय विवाह - 

आदिवासी ओझा जातियों में खास करके महाराष्ट्र में वधू मूल्य देकर पत्नी प्राप्त करने की प्रथा है।  जिसे पारिंग धन भी कहते हैं। 


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विस्तृत जानकारी के लिए नेक्स्ट पार्ट के इंतजार कीजिए। तब तक के टेलीग्राम चैनल में हमें फॉलो कर सकते हैं फेसबुक पर फॉलो कर सकते हैं व्हाट्सएप में शेयर कर सकते हैं बहुत-बहुत धन्यवाद पढ़ने के लिए। 


आने वाले लेख में आपको बाकी जो विवाह के प्रक्रिया है उसके बारे में जानकारी दी जाएगी, धर्म, उत्सव, जनजाति युवा ग्रह, घोटुल प्रथा के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेंगे। जनजातियों के लोकनाट्य कौन-कौन से होते हैं वह समाज के कौन से संगीत होते हैं इन विषयों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी तब तक के लिए धन्यवाद।








adivasi village business ideas in hindi

bisau netam February 16, 2022


आदिवासी गाँव में ऐसे करे बिजनेस आज ही फ्री में शुरू करे  

अगर आपके पास रोजगार नहीं है और आप कम पढ़े-लिखे हैं, आपको दुनियादारी का ज्यादा ज्ञान नहीं है, तो मैं आज के इस लेख में आपके लिए बेहतरीन बिजनेस आइडिया लेकर आया हूं। आदिवासी भाइयों को ध्यान में रखते हुए आज के बिजनेस आइडिया के बारे में विस्तार से चर्चा करने जा रहा हूं।

गाँव में कौन सा व्यवसाय करें : सभी आदिवासी भाइयों / बहनों, इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें और अपने जीवन में करें, आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि गाँव(village business ideas in hindi) में पैसा कैसे कमाया जाता है। यानी हम आपको बताएंगे कि गांव में ढेर सारा पैसा कमाने के लिए कौन सा बिजनेस करना चाहिए या गांव में सबसे ज्यादा चलने वाला बिजनेस आइडिया कौन सा है।


मैं इस पोस्ट में जो आइडिया बता रहा हूं उसके बारे में सभी आदिवासी भाई-बहन सभी जानते हैं, लेकिन लोग बात करने से कतराते हैं और करते भी हैं तो 1 साल 2 साल बाद छोड़  जाते हैं. तो कोई सफलता हासिल नही करते  है। इसलिए आदिवासी भाइयों/बहनों से अनुरोध है कि ये व्यवसाय लगातार करते रहें, तभी आप नियमित आय अर्जित कर पाएंगे। यदि आप किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करते हैं तो आप उन समस्याओं का डटकर सामना करे , जो कमाई होती है, उस धन का उपयोग अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए करें, मार्केटिंग करें। प्रचार- प्रसार करें यदि आप इन सभी तरीकों को अपनाते हैं, तो आपको बड़ा लाभ होगा। इसलिए यदि आप अभी शून्य से शुरुआत कर रहे हैं तो बिल्कुल आपको कड़ी मेहनत करने और सही रणनीति के साथ करने की जरूरत है।


हमारे कई आदिवासी भाई-बहन सोचते हैं कि सिर्फ शहर या उच्च जाति के लोग पैसा कमाते हैं और गांव के आदिवासी भाई/बहन पैसा नहीं कमा सकते, अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो आप पूरी तरह से गलत सोच रहे हैं।


ऐसा नहीं है कि गांव के आदिवासी भाई-बहन पैसा नहीं कमाते हैं, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गांव के आदिवासी भाई-बहनों में भी बहुत से लोग घर बैठे खूब पैसा कमाते हैं.


जैसा कि आपने देखा होगा कि गांव में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके पास बड़े घर होते हैं और बड़े वाहन भी।


तो ऐसा नहीं है कि अगर आप आदिवासी हैं और गांव में रहते हैं तो आप पैसा नहीं कमा सकते।


मान लीजिए अगर आप शहर में रहते हैं तो आपकी कमाई की कोई सीमा नहीं है।


आप शहर में जितना चाहें उतना कमा सकते हैं क्योंकि शहर में जनसंख्या अधिक है और इसीलिए वहां विभिन्न प्रकार के व्यवसाय के अवसर भी पैदा होते हैं।


लेकिन अगर आप गांव में हैं तो आप अपने छोटे से दिमाग का इस्तेमाल करके आसानी से शहर से ज्यादा पैसा कमा सकते हैं।


अब अगर आप गांव(village business ideas in hindi) में पैसा कमाने की सोच रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि आप नौकरी करके इतना पैसा नहीं कमा सकते और अगर आप नौकरी भी करते हैं तो किसी को बहुत कम पैसे में नौकरी करनी पड़ेगी।


लेकिन अगर आप ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं तो आपको अपने गांव में ही कुछ बिजनेस करना होगा।


अब यह मत सोचो कि गाँव में व्यवसाय नहीं चलता, क्योंकि गाँव में चलने वाला व्यवसाय विचार बहुत से मौजूद है।


गांव में कारोबार करने का तरीका और शहर में कारोबार करने का तरीका दोनों एक ही हैं।


बस गाँव में आपको व्यवसाय का चुनाव सोच-समझकर करना होता है, क्योंकि जैसा कि मैंने पहले कहा, गाँव में जनसंख्या शहर की तुलना में बहुत कम है।


और इसलिए यहां हर तरह का बिजनेस नहीं चल सकता।


अब आप सोच रहे होंगे कि गांव में ऐसा कौन सा व्यवसाय करें जिससे आप ज्यादा पैसा कमा सकें।


लेकिन चिंता न करें, इस लेख में मैं आपको उन सभी ग्राम व्यापार विचारों के बारे में बताऊंगा जो वास्तव में गांव में लाभ कमाकर लाभ दे सकते हैं।


अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।


क्योंकि अब हम आपको नीचे वह बिजनेस बता रहे हैं, जिससे आप अपने गांव में ही पैसा कमा सकते हैं।


गांव (village business ideas in hindi) में कौन सा व्यवसाय करें? गांव में सबसे ज्यादा चल रहा धंधा


नीचे मैंने एक-एक करके सभी लाभदायक ग्राम व्यापार विचारों के बारे में बताया है जिन्हें आप शुरू कर सकते हैं।

village business ideas in hindi



(1) मुर्गी पालन का काम करना-


आदिवासियों के पास घर-घर में मुर्गियां होती हैं, हम उसे आतिथ्य तक ही सीमित रखते हैं, हमारे पास शुद्ध देशी मुर्गियां हैं, लेकिन हम उन्हें व्यापार में नहीं बदल पाते हैं, तो क्यों न आज हम इसे एक व्यवसाय के रूप में तैयार करते हैं यदि आज हम देखते हैं कि 1 की कीमत एक किलो देसी चिकन 600 से 400 के बीच बिकता है। हमारे गांव से चिकन लेकर ऊंची जाति के लोग इसे दुकान पर भेज देते हैं और रेस्टोरेंट में भेज देते हैं। तो क्या आप इसे अपने घर में व्यवसाय के रूप में नहीं कर सकते? बिल्कुल कर सकते हैं, इसलिए अभी आप जितना ज्यादा पोल्ट्री फार्मिंग करेंगे, यह आपके लिए फायदेमंद होगा। इसके लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, हम सब गांव में रहते हैं, हम जानते हैं। वैसे तो शहर में यह बिजनेस बहुत कम लोग करते हैं, लेकिन अगर आप गांव में रहते हैं तो आप इस बिजनेस को आसानी से कर सकते हैं।


नियमित आय के लिए मुर्गियां कहां बेचें?


यदि आपके पास 10 मुर्गियां हैं और सभी ने एक साथ प्रजनन किया है, तो आपके पास उनके चूजों को बढ़ने देने के लिए पर्याप्त मुर्गियां होंगी और फिर आपके पास हर महीने बेचने के लिए मुर्गियां होंगी।

- अक्सर आप मुर्गे को उन लोगों के पास बेंचते हैं जो उसे मुर्गा लड़ाई में ले जाते हैं। मुर्गा 1500, 2,000, 3,000, 4,000, 5,000 तक बेचा जाता है। आप मुर्गियों की अच्छी तरह से देखभाल करें, उन्हें बढ़ने दें, उन्हें जल्दी न बेंचे , तो आपको ये सारे दाम मिल जाएंगे।

शुरुआत में आपको थोड़ी परेशानी होगी, लेकिन आप अपने चिकन सेंटर का प्रचार भी कर सकते हैं, शुरुआत में आप बाजार से बहुत कम रेट पर देशी चिकन बेंचे । तुम्हारे घर आयेगा तुम्हारी दुकान पर आयेगा


शहर में जगह की कमी के कारण इस तरह के व्यवसाय करने में काफी परेशानी होती है।


और इसीलिए मुर्गी पालन का व्यवसाय ज्यादातर गाँव में ही किया जाता है, क्योंकि जिस स्थान पर आपको यह व्यवसाय करने की आवश्यकता होती है, वही स्थान आपको गाँव में मिलता है।


 तो आप भी मुर्गी पालन करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं।

village business ideas in hindi


(village business ideas in hindi)

(2) बकरी पालन कर धन कमाना-

बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसे आप शहर में नहीं बल्कि अपने गांव में कर सकते हैं।


क्योंकि बकरी पालन करने के लिए आपको एक हरे भरे स्थान और एक बड़े स्थान की आवश्यकता होती है जहाँ आप बकरी पालन कर सकें।



गांव में कई ऐसे लोग हैं जो पहले से ही बकरी पालन कर अच्छा पैसा कमा रहे हैं। आज बकरा / बकरियां 15 से 20 हजार के बीच बिकती हैं। यदि आप गाँव में हैं और आपके घर में पर्याप्त लोग हैं, यदि आपके एक से अधिक भाई/बहन हैं, तो आप बकरी पालन अवश्य करें और स्वयं चराने  जाएँ। सही कीमत पर बेचो क्योंकि अगर आप बेचालियो  बेचते हैं तो आपको सही कीमत नहीं मिलती है। इसलिए आप एक बड़े कार्यक्रम , उनसे संपर्क करें, चाहे वह शादी हो या किसी तरह का बड़ा कार्यक्रम।

बकरा को बेचने के लिए आपको मुसलमानों के संपर्क में आना चाहिए मुसलमानों के त्यौहार में बकरों के जो  दाम होते हैं वह एक लाख तक चला जाता है। इसलिए आपके इलाके में जो मुसलमान होते हैं उनके दुकान में जाइए और उनको जाकर आप कहें कि भैया आपको यदि मार्केट से भी अच्छा और शुद्ध बकरा चाहिए तो आप हमसे संपर्क कीजिए आप अपना मोबाइल नंबर छोड़ दीजिए एक बार अब उनके कांटेक्ट में आ जाएंगे तो आप बहुत सारे मुसलमानों के संपर्क में आ जाएंगे फिर आपके जो बकरा के जो बिजनेस है वह चलना शुरू हो जाएगा।शादी,मेला ,त्योहार आदिवासी गाँव में बिक ही जाता है। 


अगर आपको ये बिजनेस आईडिया अच्छा लगा तो अपने आदिवासी भाई /बहनों तक शेयर करे। 


आदिवासी ओझा समाज के लिए सराहनीय कार्य ,माधव सहकारिता बैंक ने आदिवासी ओझा असहाय लोगों को कंबल दान किया

bisau netam January 29, 2022

 

आदिवासी ओझा समाज



वर्तमान परिस्थिति और बदलते मौसम को देखते हुए माधव सहकारिता बैंक की ओर से ओझा समाज के असहाय लोगों को कंबल फ्री में उपलब्ध करा कर मानवता की एक नई मिसाल पेश की है। 


वैसे लोग जो लाचार, बेबस व गरीब होने के कारण इस कड़ाके की ठंड में किसी तरह अपना जीवन गुजर बसर कर रहे हैं। उनलोगों को चिन्हित कर कम्बल का वितरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय मे ठंड का प्रकोप ओर ज्यादा बढ़ने की संभावना है। जिसके कारण माधव सहकारिता बैंक वस्त्र वितरण कार्यक्रम के तहत गरीब,निशाहय लोगों को कम्बल वितरण किया जा रहा है। इसी कार्यक्रम के तहत

माधव सहकारिता बैंक की ओर से ओझाढाना बैतूल मध्यप्रदेश मे गरीब आदिवासी ओझा समाज के लोगो को कम्बल वितरण किया गया । 



समाज सेवा में सुनील जी अहाके, असाडू उइके, मनोहर धुर्वे, बंटी अहाके, मोहित धुर्वे आप लोग समाज सेवा में लगे रहते है ।  आपको आदिवासी ओझा परिवार की ओर से बहुत बहुत बधाई ।

आदिवासी ओझा समाज के लिए मनोहर धुर्वे  हमेशा से आगे बढ़ाने के प्रयास में लगे रहते हैं इसी कड़ी में माधव सहकारिता बैंक के साथ जुड़कर असहाय लोगों के लिए कंबल की व्यवस्था कराने में कामयाब रहे। 

साथी ओझाढाना बैतूल मध्यप्रदेश में 500 से अधिक मकान है,सभी लोग मेहनत, मजदूरी करके पैसा कमाते हैं और उसे दारू में उड़ा देते हैं। इस गंभीर समस्या को मनोहर धुर्वे कई दिनों से इस समस्या के समाधान  ढूंढने के प्रयत्न में लगे रहे। इस समस्या को बैंक मैनेजर के साथ शेयर किया फिर एक ऐसा योजना लाया जिसमें से 10 ₹20 तक में बैंक में खाता खोलकर बचत योजना के तहत सभी ओझाढाना में जो ओझा निवासरत है बैंक में हर महीना जमा करते हैं और इससे उनके जो दारू की लत है वह भी दूर हो रही है और साथ में सेविंग भी हो रही है। 

इस शानदार प्रयास के लिए आदिवासी ओझा समाज की ओर से मनोहर धुर्वे जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हैं। 



हमसे जुड़े 👉टेलीग्राम


ojha caste in hindi|ओझा अनुसूचित जनजाति

bisau netam January 22, 2022
 छत्तीसगढ़ की ओझा अनुसूचित जनजाति, विशेष परंपराएं, तीज एवं त्यौहार 

बिसाऊ राम नेताम ओझा लेखक की ओर से-ओझा अनुसूचित जनजाति के बारे में कहीं पर लेख नहीं मिलेगा ना ही इंटरनेट में आपको सही और सटीक जानकारी मिलेगी। इस वेबसाइट पर सभी जानकारी सत्यापन कर सभी आंकड़ों का मूल्यांकन कर प्रमाणित जानकारी दी जा रही है। इस वेबसाइट का उद्देश्य ओझा जनजातियों के बारे में लोगों में फैली भ्रांति  को दूर करना उद्देश्य है एवं समस्त भारत में ओझा जनजाति को जागरूक करना एवं संगठित करना। 


छत्तीसगढ़ भाषायी  और सांस्कृतिक विविधता, जनजाति बहुलता और सांस्कृतिक विरासत की दृष्टि से समृद्ध होने के कारण ऐतिहासिक काल से ही विशिष्ट रहा है। 




विश्व के जनजाति मानचित्र में अफ्रीका के बाद भारत में जनजाति जनसंख्या की बहुलता है। इस दृष्टि से राज्य को जनजाति बहुल राज्य भी कह सकते हैं। राज्य की कुल जनसंख्या का 30.6 % जनजाति जनसंख्या है। भारत की कुल जनजाति जनसंख्या का 6.2 %  है। राज्य का सबसे बड़ा जनजाति समूह गोंड  है। 


प्रदेश में क्षेत्र के हिसाब से ओझा जनजाति कहां कहां पाए जाते हैं-
 


उत्तर- पूर्वी क्षेत्र 

इसके अंतर्गत रायगढ़,गरियाबंद  में ओझा जनजातियों का होने का खबर मिली है अभी तक इसमें कोई प्रमाणिक जानकारी प्राप्त नहीं हुई है लेकिन रायगढ़ में ओझा जाति के कुछ लोग बसे हुए हैं यह जानकारी हमारे टीम को अन आधिकारिक रूप से  प्राप्त हुई है। 


मध्यवर्ती क्षेत्र- 

इनमें धमतरी, राजनांदगांव, कवर्धा कुछ ग्राम पंचायतों में इन जिलों में ओझा जनजाति के लोग निवासरत हैं। 


दक्षिणी क्षेत्र- 


दक्षिणी क्षेत्र के अंतर्गत बस्तर ,दंतेवाड़ा तथा कांकेर जिले सम्मिलित हैं। यहां निवास करने वाली जनजातियों में गोंड, हलवा, मारिया, हल्बी, अबूझमाडीया, आदि जनजाति इनके साथ हमारे ओझा जनजाति के लोग भी निवासरत हैं। प्राय: बस्तर संभाग में जहां-जहां जनजाति के लोग हैं वहां ओझा जाति के लोग भी निवासरत हैं। 


ओझा अनुसूचित जनजाति -

ओ+झा 

ओ = हे 

झा= झाड़ फूंक करने वाला 

ओझा- हे झाड़ फूंकने वाला 

इस प्रकार से सभी जनजाति के लोग संबोधन करते थे यह झाड़-फूंक ने वाला यह शब्द बहुत लंबा और बोलने में भी अधिक ऊर्जा लगती है तो इसे ओझा संबोधन करके पुकारने लगे तभी से ओझा शब्द के उत्पत्ति माना जाता है। ओझा समाज के कई बुजुर्गों से संपर्क करने के बाद यह जानकारी और ज्यादा उजागर हुई और आधा से ज्यादा बुजुर्गों का मानना है कि बिल्कुल ओझा शब्द की जो उत्पत्ति है इसी प्रकार से हुई है।

ओझा अपना मूल निवास बस्तर संभाग को मानते हैं उनका मानना है कि ओझा जनजातियों का अस्तित्व महाभारत काल , रामायण काल से मानते हैं। 



और इसकी झलक आपको छत्तीसगढ़ के ओझा  जनजातियों में देखने को भी मिलेगी। सभी घर में ढहकी विशेष तौर से ओझा जनजातियों के घर में होता है, उसके साथ लोगों का मनोरंजन एवं झाड़-फूंक का काम करते हैं। 

जनजाति सांस्कृतिक तत्व- 

जनजाति समाज के अपने अलग नियम और मान्यताएं होती है। प्रदेश के जनजाति सांस्कृतिक तत्वों की प्रमुख विशेषताएं निम्न शीर्षकों में देखी जा सकती है आइए ओझा जनजाति के सांस्कृतिक तत्व के बारे में निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर समझते हैं - 


भाषा 

आदिम जनजातियों की अपनी अलग भाषा (बोली) होती है, जिसे वे आदिकाल से बोलते आ रहे हैं। इनकी भाषा की कोई लिपि नहीं है। ओझा जनजाति के लोग छत्तीसगढ़ी, पारसी, साथी क्षेत्र विशेष के हिसाब से वहां के जनजाति समूह का भाषा भी बोलते हैं। छत्तीसगढ़ी भाषा पर सीमावर्ती राज्यों की भाषाओं का प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, उड़ीसा, एवं मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में ओझा जाति निवासरत है और इनकी प्रमुख भाषा के रूप में पहचान की जा रही है पारसी और स्थानीय बोली के अनुसार आचार विचार रख रहे हैं।



सामाजिक विशेषताएं-
आदिवासी समाज का संगठन बंधुत्व पर आधारित है। अन्य समाजों की अपेक्षा यह अधिक प्रजातांत्रिक एवं सामाजिक होते हैं।
जनजातीय अर्थव्यवस्था में इनका महत्व पुरुषों से अधिक दिखाई देता है। इनमें संयुक्त एवं व्यक्तित्व दोनों परिवारों की परंपरा होती है, जिसमें टोटम(गढ़ चिन्हा) का विशेष महत्व होता है। समाज में सामुदायिक तक की भावना प्रबल होती है।
युवागृहों : जैसे - घोटूल, घूम कोरिया आदि का महत्वपूर्ण स्थान होता है, जहां युवा आदिवासी जीवन दर्शन की शिक्षा लेते हैं।

गोत्र 

ओझा जनजाति में पूर्वजों का गोत्र अभी सरकारी रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है और ओझा संगठनों का यह मांग है कि उनका गोत्र को सरकारी आंकड़ों में मेंशन किया जाए। पुरवाईया,पखरवाल,मरार,पखिरबाल,भरेवा,सिंगूमारिया, आदि ओझा जाति के गोत्र हैं। जनगणना अधिकारियों के द्वारा शंका होने पर बाकी जनजातियों के गोत्र से ओझा जाति के गोत्र को जोड़ दिया गया और वह आज भी चले आ रहा है जैसे- नेताम, मंडावी, मरावी, भलावी, परते,उइके, मरकाम,आत्रम, कोवा आदि।


राष्ट्रीय एकता दिवस के उपलक्ष्य में शहीदों के परिजनों का किया अभिनंदन,मध्यप्रदेश

bisau netam October 25, 2021

 राष्ट्रीय एकता दिवस के उपलक्ष्य में शहीदों के परिजनों का किया अभिनंदन,इसी तारतम्य में स्वतन्त्रता संग्राम सैनानी मंशु ओझा के ज्येष्ठ पुत्र श्री सिमरत पाखरेजी  का साल श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया ।


आदिवासी ओझा समाज के इतिहास, संस्कृति,भाषा बोली, को समझने के लिए इस वेबसाइट पर बहुत सारे आर्टिकल उपलब्ध है आप सभी को बारीकी से अध्ययन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं सभी ओझा समाज के पास यह जानकारी शेयर कीजिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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