आदिवासी अनुसूचित जनजाति ओझा जाति
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पहले एक ही राज्य थे । छत्तीसगढ़ राज्य 1 नवंबर 2000 को अलग होकर अस्तित्व में आया। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत 42 जाति आते हैं । छत्तीसगढ़ में आदिवासी ओझा के बारे में बात किया जाए तो 42 अनुसूचित जनजाति के सूची में 16वे नंबर पर आता है । नाम कुछ इस प्रकार से है -
- 16.गोंड; अरख, अर्रख, अगरिया, असुर, बदी मारिया, बड़ा मारिया, भटोला, भीम, भूता, कोइलभुट्टा, कोलिभुती, भर, बिसनहोर मारिया, छोटा मारिया, डंडिया मारिया, धुर्वा, धोबा, धुलिया, डोरला, गिकी, गट्टा, गट्टा, गट्टा , गीता, गोंड, गौरी हिल मारिया, कंदरा, कलंगा, खटोला, कोइरा, कोयरा, खिरवार, कुचरा मारिया, कुचिया मारिया, मडिया, मारिया, मैना, मनेवर, मोग्या, मोगिया, मंधिया, मुड़िया, मुरिया, नगरची, नागवंशी , ओझा, राज गोंड,सोनझरी, झरेका, थटिया, थोडा, वेड मारिया, वेड मारिया, दारोई
छत्तीसगढ़ में आदिवासी ओझा जनजाति कौन - कौन से जिले में हैं ?
छत्तीसगढ़ में मुख्य रूप से एवं जनसंख्या की दृष्टि से देखा जाए तो कांकेर जिले में सर्वाधिक ओझा जाति के लोग निवासरत हैं। कोंडागांव , राजनांदगांव , नारायणपुर, जगदलपुर ,कवर्धा ,गरियाबंद ,बीजापुर ,बस्तर संभाग में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ में आदिवासी ओझा जनजाति के लोग निवासरत हैं।16वे नंबर पर प्रमुख रूप से गोंड जनजाति है फिर जितने भी गोंड जाति के साथ जुड़े हुए हैं वह गोंड के उपजाति कहलाते हैं।अत: आदिवासी ओझा जाति भी गोंड की उपजाति है।
आदिवासी ओझा जनजाति आदिवासी में आते हैं कि नहीं?
ओझा जाति और ओझा गोत्र में बहुत अंतर है बहुत लोग कंफ्यूज हो जाते हैं। जो पहली बार सुनते हैं वह आदिवासी ओझा को ब्राह्मण समझ लेते हैं।मैं यहां पर स्पष्ट कर देना चाहता हूं ब्राह्मण के कास्ट ब्राह्मण होते हैं।और उनके गोत्रावली ओझा लिखते हैं,जैसे कि फेमस क्रिकेटर है प्रज्ञान ओझा तो वह ओझा आदिवासी नहीं है। वह एक ब्राह्मण है आदिवासी ओझा के संस्कृति भाषा बोली सब बाकी जो अनुसूचित जनजाति के संस्कृति होती है,रीति- रिवाज होती है वैसे ही होती हैं।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम, 1976 के अनुसार और 2000 के अधिनियम 28 द्वारा डाला गया है।
इसलिए आदिवासी ओझा जाति अनुसूचित जनजाति में आते हैं।सरकार के जितने भी अनुसूचित जनजाति से संबंधित छुट ,आरक्षण एवं सरकारी योजनाएं हैं सभी के लाभ ओझा जाति के लोग लेते हैं।
छत्तीसगढ़ ओझा जनजाति के संस्कृति भाषा बोली कैसे होती है ?
आदिवासी ओझा जाति के लोग भी बाकी अनुसूचित जनजाति के जातियों की तरह गोंडी ,पारसी,हल्बी इत्यादि भाषा , बोली बोलते हैं। प्रमुख रूप से देखा जाए तो आदिवासी ओझा जाति के जो बोली होती है वह पारसी होती है।यही उनकी पहचान होती है।
आदिवासी महिला एवं पुरुष दोनों ही अपने हाथ एवं पैरों में गोदना गोदवाते हैं। श्रृंगार की दृष्टि से देखा जाए तो अधिकांश महिलाएं गोदना के माध्यम से श्रृंगार करती हैं। एवं बाकी अनुसूचित जनजातियों के महिलाओं को गोदने का काम करते हैं। मुख्य रूप से जो अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को गोदने का जो काम होता है वह आदिवासी ओझा महिलाओं के द्वारा किया जाता है। पुरानी परंपराएं अनुसार यदि आदिवासी महिलाएं गोदना नहीं गोदवाते हैं तो उनके श्रृंगार अधूरी मानी जाती है ।आज भी ओझा जाति के महिलाओं द्वारा गोदना कार्य किया जा रहा है।
आदिवासी ओझा समाज के मुख्य संस्कृति है ढाहकी बजाके लोगों को मनोरंजन करना।आदि अनादि काल से चली आ रही है आदिवासी के पारंपरिक संस्कृति में से एक है ओझा ढाहकी गीत। राजा महाराजाओं के जमाने में राजा के दरबारों में आदिवासी ओझा जनजातियों के माध्यम से मनोरंजन किया जाता था। फिर अंग्रेजों के साथ युद्ध के दरमियान भी क्रांतिकारी सेनाओं को मनोरंजन करने का काम आदिवासी ओझा जनजातियों के द्वारा किया गया है। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें मध्यप्रदेश बेतुल घोड़ाडोंगरी स्वतंत्र सेनानी 👉मंशु ओझा
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