जीवन परिचय मंशु ओझा

 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंशु ओझा जीवन परिचय 


स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंशु ओझा का जन्म कहाँ हुआ ? 


स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंशु ओझा पिता उमराव ओझा का जन्म रातामाटी में हुआ। बाद में बाजार ढाना ओझा मोहल्ला घोड़ाडोंगरी जिला बैतूल के निवासी हो गये। गरीबी होने के कारण पारिवारिक स्यतिथि बहुत खराब थी 

जिसके कारण इनकी शिक्षा भी ना के समान थी ।


स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंशु ओझा


स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंशु ओझा भारत छोड़ो आन्दोलन में कैसे सम्मलित हुए ?


सन् 1942 में भारत देश में एक ऐसा ऐतिहासिक आन्दोलन प्रारम्भ हुआ जिसे भारत छोड़ो आन्दोलन के नाम से जाना जाता है। 

08 अगस्त 1942 को रात्रि में भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रस्ताव मुम्बई में पारित हुआ ओर आन्दोलन को शुरू होने से पूर्व ही 09अगस्त को रात्रि में अंग्रेज सरकार ने महात्मा गाँधी सहित मौलाना आजाद, सरदार पटेल,जवाहरलाल नेहरु आदि कार्यकारणी के अन्य सदस्यों को बन्दी बनाकर पूना भेज दिया गया। इस कार्यवाही से जनसमूह सड़कों पर उतरकर आ गया। देशभर में हड़ताल, प्रदर्शन व सभाओं का आयोजन हुआ दिल्ली ओर मुम्बई जैसे बड़े बड़े शहरों में नगर, तहसील व ग्राम में जनता संगठित होकर आन्दोलन को शुरू कर दिया।  सरकार ने आन्दोलन को समाप्त करने के लिये गोलियां चलाई, लाठी चार्ज किया और हजारों की संख्या में गिरफ्तारियां हुई मध्य प्रदेश में सागर, जबलपुर, मंडला, बैतूल रियासतों में कई जगह आन्दोलन ने उग्र रूप ले लिया।  


आदिवासी ओझा समाज के क्या योगदान है ?


सन् 1942 में आजादी की चिंगारी एक ज्वाला के रूप में पूरे भारत देश में फैल चुकी थी    

इस आजादी की चिंगारी में देश के कई हजारों आदिवासी गोंड, कोरकू, ओझा, बैगा,परधान,भील,भिलाला,मुण्डा, मुआसी आदि जनजातियों के लोगो ने भी आन्दोलन में भाग लिया सन् 1942 के यहा आन्दोलन में कई आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने मिलकर बैतूल जिला के घोड़ाडोंगरी क्षेत्र में रेल की पटरी उखाड़ने ओर पुल बोगदा को नुकसान पहुंचाते हुए बिजली के तार को काटते हुए घोड़ाडोंगरी में लकड़ी का डिपो जला दिया।इस आन्दोलन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंशु ओझा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की टुकडियो में ओझा समाज का बाना ढ़ाक को बजाकर देश भक्ति गीत गाते हुए सभी साथियों का हौसला बढ़ाते हुए स्वयं भी आगे आगे चलकर आन्दोलन में भाग लेते थे। 


इन्होने भारत देश की मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने में आजादी के लिये संघर्ष करते हुए बैतूल जिला में कई आन्दोलनों में भाग लिया जिसके कारण बैतूल जिला में भी 

बडे पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई। इस गिरफ्तारी में श्री मंशु ओझा पिता उमराव ओझा रातामाटी, श्री डोमा गोंड पिता फगना गोंड रातामाटी, श्री मग्गू गोंड पिता जुगलबंदी गोंड रातामाटी, श्री मानसिंह पिता मंजलु उइके महेन्द्रवाडी,श्री लक्ष्मण गोंड पिता गोरा गोंड सड़कवाला,श्री लाट प्रधान पिता देवी प्रधान रातामाटी, श्री विष्णु गोंड पिता मंगता गोंड रातामाटी से कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को 04-11-1942 को गिरफ्तार कर लिया गया ओर बैतूल जेल में रखा गया। 

गिरफ्तार स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की संख्या अधिक होने के कारण बहुत से बंदियों को नागपुर एवं  नरसिंहपुर जेल स्थानान्तरित कर दिया दिनांक- 04-11-1942 से 20-07-1944 तक कठिनाईयाँ झेलते हुए। 

अंग्रेजी सरकार की यातनाये सहते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंशु ओझा पिता उमराव ओझा नरसिंहपुर जेल में कारावास की सजा भुगते।  


स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंशु ओझा के कारण ही आज ओझा जाति का सर गर्व से ऊॅचा हुआ है?


देश के मूल निवासी आदिवासीयों ने भी अपने प्राणों की बाजी लगाकर भारत देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंशु ओझा के कारण ही आज ओझा जाति का सर गर्व से ऊॅचा हुआ है। भारत देश की आजादी में ओझा जनजाति का भी योगदान रहा है। मध्य प्रदेश स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जिला व केन्द्रीय सम्मान निधि नियम 1972 नियम 2,3 के अंर्तगत घोषित स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की सूची में दर्ज है। स्वतंत्रता के पच्चीसवें वर्ष के अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम में स्मरणीय योगदान के लिए राष्ट्र की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने 15 अगस्त 1972 को ताम्रपात्र मंशु ओझा पिता उमराव ओझा को भेट किया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक घोड़ाडोंगरी में आज भी मंशु उमराव ओझा का नाम अंकित है। 

इनका स्वर्गवास देश की आजादी के बाद घोड़ाडोंगरी जिला बैतूल में दिनांक-28-08-1981 को हुआ।





सम्पर्क-

मोहन ओझा भोपाल मध्य प्रदेश मोबाइल नंबर-9893314850



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